मुंह के कैंसर की शीघ्र पहचान के लिए मोबाइल ऐप का अनुसंधान करेगा एम्स भोपाल

भोपाल: 30 अप्रैल 2025
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में संस्थान ने ओरल कैंसर (मुख कैंसर) और अन्य प्री-मेलिग्नेंट (पूर्व-कैंसर) स्थितियों की पहचान के लिए एक मोबाइल ऐप के माध्यम से स्क्रीनिंग हेतु एक अभिनव अनुसंधान परियोजना प्रारंभ की है। इसके लिए एमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने दो साल के रिसर्च प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस दो वर्षीय अनुसंधान परियोजना के लिए कुल ₹7.4 लाख की राशि स्वीकृत की गई है, जिसमें से प्रथम वर्ष हेतु ₹3.7 लाख की पहली किस्त जारी की जा चुकी है। यह मोबाइल ऐप ओरल कैंसर, मुँह खोलने में रुकावट की बीमारी, और अन्य गंभीर मुख स्थितियों की स्क्रीनिंग करने में मदद करेगा। यह ऐप कुछ ही मिनटों में परिणाम देगा और सभी रोगियों की जानकारी पूर्ण रूप से गोपनीय रखेगा।
इस रिसर्च का नेतृत्व एम्स भोपाल के ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के डॉ. अंशुल राय करेंगे। उनके साथ को-प्रोजेक्ट इन्वेस्टिगेटर के रूप में डॉ. सैकत दास (रेडिएशन ऑन्कोलॉजी), प्रो. अभिनव सिंह, डॉ. दीप्ति जोशी (पैथोलॉजी) और डॉ. अंकुर जोशी (कम्युनिटी एंड फैमिली मेडिसिन) शामिल हैं। रिसर्च के लिए स्वीकृत राशि में से दो साल के लिए जूनियर रिसर्च फेलो की सैलरी 4 लाख 80 हजार रुपए तय की गई है। कंज्यूमेबल्स पर 60 हजार रुपए, यात्रा व्यय पर 1 लाख रुपए और पब्लिकेशन व प्रिंटिंग पर 1 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। यह रिसर्च मोबाइल ऐप के जरिए बड़ी आबादी में मुंह से जुड़ी गंभीर बीमारियों की पहचान और इलाज की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। साइंटिस्ट प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर (PI) प्रोफेसर डॉ. अंशुल राय ने जानकारी दी कि इस मोबाइल ऐप पर वे गत एक वर्ष से कार्य कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एमपी काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा कुल ₹7.5 लाख की धनराशि इस परियोजना के लिए प्रदान की गई है। आगामी दो वर्षों में यह अनुसंधान 1,000 व्यक्तियों पर किया जाएगा तथा एक व्यापक रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की जाएगी, जिससे ओरल कैंसर से संबंधित नीति निर्माण में सहायता मिल सके। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को तंबाकू, सुपारी, सिगरेट और बीड़ी जैसे हानिकारक पदार्थों के प्रभावों के बारे में जागरूक करेगा और उन्हें इनका सेवन छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
यह ऐप अपनी तरह का पहला इनोवेशन है जिसे सरकार ने फंडिंग दी है और यह स्पष्ट तरह से कैंसर होने के कितने चांसेस हैं उसका प्रमाण देगा। वर्तमान में ऐसा कोई ऐप बाजार में उपलब्ध नहीं है जिसमें इतने फीचर्स हों। इसके माध्यम से मरीज बहुत ही आसान तरीके से जान सकेंगे कि उनके मुँह में कैंसर के प्रारंभिक या उन्नत (एडवांस) लक्षण मौजूद हैं या नहीं। यह ऐप कुछ ही मिनटों में परिणाम प्रदान करेगा और मरीज की सभी जानकारियाँ पूरी तरह गोपनीय रखी जाएंगी। जिन रोगियों में कोई लक्षण नहीं होंगे, उनके लिए भी यह ऐप शिक्षाप्रद सिद्ध होगा और उन्हें तंबाकू, सुपारी और धूम्रपान छोड़ने हेतु प्रेरित करेगा। इस पहल की सराहना करते हुए प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने कहा, “यह अभिनव मोबाइल ऐप हमारे ओरल कैंसर के विरुद्ध प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। हम डिजिटल तकनीक के समावेश से जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक सशक्त कदम उठा रहे हैं, जिससे हम व्यापक जनसंख्या तक पहुँच कर जागरूकता फैला सकें और मुख कैंसर के बोझ को कम कर सकें। मैं डॉ. अंशुल राय एवं उनकी समर्पित टीम को इस सराहनीय कार्य हेतु हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।”