भोपालमध्य प्रदेशस्वास्थ्य

एम्स भोपाल और श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (BMVSS) के बीच समझौता ज्ञापन: दिव्यांगजनों के लिए निःशुल्क कृत्रिम अंग केंद्र स्थापित होगा 

भोपाल: 24 फरवरी 2025

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के नेतृत्व में, एम्स भोपाल और श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (BMVSS) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके तहत एम्स भोपाल परिसर में एक कृत्रिम अंग एवं कैलिपर निर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य दिव्यांगजनों को निःशुल्क कृत्रिम अंग, कैलिपर और अन्य सहायक उपकरण प्रदान कर उनकी गतिशीलता और सम्मानजनक जीवन को सुनिश्चित करना है। BMVSS जयपुर फुट/लिंब की मुख्य संस्था है एवं दुनिया की सबसे बड़ी दिव्यांग पुनर्वास संगठन है और अब तक लगभग 2.5 मिलियन दिव्यांगों को कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण प्रदान कर चुकी है। यह सेवा पूरी तरह निःशुल्क है। इसी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, BMVSS एम्स भोपाल में अपने स्वयं के खर्च पर उपकरण स्थापित करेगा और तकनीकी विशेषज्ञों की नियुक्ति करेगा। यहां पर एम्स भोपाल में उपचाररत उन दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग लगाए जाएंगे, जिनका अंग विच्छेदन हुआ है, साथ ही एम्स द्वारा सुझाए गए अन्य दिव्यांगों को भी निःशुल्क सहायता प्रदान की जाएगी। इन सभी फिटमेंट्स की निगरानी एम्स भोपाल के पुनर्वास और आर्थोपेडिक्स विशेषज्ञों द्वारा की जाएगी।

इस अवसर पर प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने कहा: “यह समझौता दिव्यांगजनों के पुनर्वास में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह पहल केवल चिकित्सा सहायता तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि इससे दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा। एम्स भोपाल का उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, और BMVSS के सहयोग से यह कार्य और भी प्रभावी रूप से संपन्न होगा।” इस साझेदारी से मरीजों की देखभाल, पुनर्वास अनुसंधान और शिक्षा को मजबूती मिलेगी। यह समझौता दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ी राहत साबित होगा और उन्हें मुफ्त में उच्च गुणवत्ता वाले कृत्रिम अंग प्राप्त करने में मदद करेगा। इस समझौते पर एम्स भोपाल की ओर से डॉ. रजनीश जोशी, डीन (एकेडमिक्स), और BMVSS जयपुर की ओर से डॉ. दीपेंद्र मेहता, सचिव, ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर समारोह में डॉ. शशांक पुरवार, कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक, उपनिदेशक (प्रशासन) कर्नल (डॉ.) अजीत कुमार, डॉ. रेहान-उल-हक, डीन (अनुसंधान), और डॉ. विट्ठल पुरी, एसोसिएट प्रोफेसर, पीएमआर विभाग तथा अन्य संकाय सदस्य और कर्मचारी उपस्थित रहे।

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