एम्स भोपाल में फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी फेलोशिप परीक्षा का सफल आयोजन

भोपाल: 28 जनवरी 2025
हाल ही में, एम्स भोपाल के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग में सीनियर रेजिडेंट लिंक्ड फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी फेलोशिप परीक्षा का सफल आयोजन किया गया। यह एसआरएलएफ कार्यक्रम एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के कौशल को उन्नत करना है।
फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी फोरेंसिक विज्ञान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो चिकित्सा व कानूनी जांच में ऊतक नमूनों के सूक्ष्म विश्लेषण पर आधारित है। यह मृत्यु के कारणों की पहचान, पोस्टमॉर्टम अंतराल का अनुमान, तथा मृत्युपूर्व व मृत्युोत्तर चोटों में अंतर करने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, यह प्राकृतिक अचानक मौतों की जांच, घाव भरने की प्रक्रिया को समझने, और विषाक्त पदार्थों या दवाओं से होने वाली ऊतक क्षति की पहचान में भी उपयोगी है। अपराध जांच से आगे बढ़कर, फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी न केवल चिकित्सा साक्ष्य प्रदान करती है बल्कि रोग पैटर्न और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान को भी प्रोत्साहित करती है। यह शैक्षिक प्रगति और फोरेंसिक विज्ञान तथा कानूनी प्रणाली में महत्वपूर्ण योगदान देती है। इस फेलोशिप परीक्षा के सफल आयोजन ने फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी में विशेषज्ञता के महत्व को रेखांकित किया है। यह पहल फोरेंसिक विज्ञान में अकादमिक अनुसंधान और व्यावहारिक अनुप्रयोगों को प्रोत्साहित करने के प्रति एम्स की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिससे न्याय और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्रों को निरंतर लाभ मिलेगा।
भारत में अपनी तरह की पहली इस फोरेंसिक हिस्टोपैथोलॉजी फेलोशिप का उद्देश्य रेजिडेंट्स को जरूरी कौशल प्रदान करना है ताकि वे मेडिको-लीगल मामलों में अधिक सटीक व समग्र राय प्रस्तुत कर सकें और कानूनी मामलों को उचित निष्कर्ष तक पहुंचाने में मदद कर सकें। इस पाठ्यक्रम के समन्वयक डॉ. जयंती यादव (प्रोफेसर) और डॉ. जय चौरसिया (अतिरिक्त प्रोफेसर, पैथोलॉजी एवं लैब मेडिसिन विभाग) थे। विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अरनीत अरोड़ा ने इस फेलोशिप के सफल संचालन पर प्रसन्नता व्यक्त की।