एम्स भोपाल में दुर्लभ एड्रेनल ब्लैडर ट्यूमर का सफल उपचार

भोपाल: 18 जनवरी 2025
एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह के मार्गदर्शन में एम्स भोपाल ने दुर्लभ और जटिल यूरोलॉजिकल ट्यूमर के इलाज में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यूरोलॉजी विभाग ने पिछले एक साल में उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीक (दूरबीन के ऑपरेशन) द्वारा 13 हार्मोन स्रावित एड्रेनल ट्यूमर का सफल इलाज किया, जो संस्थान की चिकित्सा देखभाल में नवीनता और सर्जिकल विशेषज्ञता को दर्शाता है। इनमें से 7 मरीजों में क्रियाशील हार्मोन स्रावित एड्रेनल ट्यूमर, जैसे फियोक्रोमोसाइटोमा और एल्डोस्टेरोनोमा का इलाज मिनिमल इनवेसिव लैप्रोस्कोपिक एड्रेनलेक्टॉमी के जरिए किया गया। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें एड्रेनल ग्रंथि (जो किडनी के ऊपर स्थित होती है) को हटाने के लिए लैप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में छोटे चीरे लगाए जाते हैं, और एक लैप्रोस्कोप (एक लंबी पतली ट्यूब जिसमें कैमरा और रोशनी लगी होती है) का उपयोग करके सर्जन एड्रेनल ग्रंथि तक पहुँचते हैं। इस प्रक्रिया में कम दर्द होता है और रिकवरी की संभावना जल्दी होती है।
जून 2023 से मई 2024 के बीच की गई लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में रेट्रोपेरिटोनियल और ट्रांसपेरिटोनियल दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया गया, जो ट्यूमर के आकार, स्थान और हार्मोनल गतिविधि के हिसाब से तय किए गए थे। इन प्रक्रियाओं के नतीजे उल्लेखनीय रहे, जिसमें 43% मरीजों में एल्डोस्टेरोन स्रावित एडिनोमा और 57% में फियोक्रोमोसाइटोमा पाए गए। फियोक्रोमोसाइटोमा से प्रभावित सभी मरीजों में ऑपरेशन के बाद रक्तचाप सामान्य हो गए। रेट्रोपेरिटोनियल मामलों के लिए औसत ऑपरेशन का समय 120 मिनट और ट्रांसपेरिटोनियल मामलों के लिए 90 मिनट था।
इसके अलावा, एम्स भोपाल ने तीन दुर्लभ न्यूरोएंडोक्राइन ब्लैडर ट्यूमर का सफल इलाज किया, जो दुनिया भर में ब्लैडर कैंसर के सभी मामलों का 1% से भी कम होते हैं। इन मामलों की पहचान न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर और पैराग्लैंग्लियोमा के रूप में की गई और इनका प्रबंधन उन्नत निदान तकनीकों, जैसे इमेजिंग, मेटाबोलिक जांच और हिस्टोपैथोलॉजी के माध्यम से किया गया। यह कार्य दोहा में आयोजित प्रतिष्ठित अरब एसोसिएशन ऑफ यूरोलॉजी सम्मेलन में डॉ. केतन मेहरा द्वारा प्रस्तुत किया गया और बाद में यूसीकॉन (USICON) 2025, चेन्नई में भी प्रस्तुत किया गया, जहां इसे वैश्विक चिकित्सा समुदाय में व्यापक सराहना मिली। इसके साथ ही इस क्षेत्र में आगे भी अनुसंधान किए जा रहे हैं।
प्रो. सिंह ने कहा, “यह उपलब्धि यूरोलॉजी में हमारी निरंतर प्रगति को दर्शाती है। इन उन्नत लैप्रोस्कोपिक तकनीकों की सफलता हमारे मरीजों को विश्वस्तरीय देखभाल प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।” यह उपलब्धि यूरोलॉजिकल ट्यूमर के प्रबंधन में उन्नत लैप्रोस्कोपिक सर्जरी में विभाग की विशेषज्ञता का प्रमाण है, जो एम्स भोपाल को यूरोलॉजी में एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित करता है। यह कार्य यूरोलॉजी से डॉ. देवाशीष कौशल, डॉ. कुमार माधवन, डॉ. केतन मेहरा और डॉ. निकिता श्रीवास्तव तथा एंडोक्राइनोलॉजी से डॉ. अल्पेश गोयल और डॉ. राहुल गुप्ता के मार्गदर्शन में किया गया।