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एम्स भोपाल के द्वारा वैश्विक विशेषज्ञों के साथ मिलकर नई ओरल कैंसर स्क्रीनिंग परियोजना की शुरुआत 

भोपाल: 11 नवंबर 2024

एम्स भोपाल ने ओरल कैंसर के प्रारंभिक निदान, स्क्रीनिंग और रोकथाम में क्रांति लाने के उद्देश्य से एक नई अंतरराष्ट्रीय साझेदारी की घोषणा की है। इस परियोजना के अंतर्गत केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी, ओहायो, अमेरिका से इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. उमुत गुर्कन और हेमेक्स हेल्थ इंक की एसे प्रोडक्ट डेवलपमेंट की उपाध्यक्ष डॉ. सुलथा द्वारकानाथ ने एम्स भोपाल का दौरा किया। इस सहयोग का उद्देश्य एक नवीन प्वाइंट-ऑफ-केयर रैपिड स्क्रीनिंग टेस्ट विकसित और परीक्षण करना है, जो ओरलकैंसर की शुरुआती पहचान में सहायता करेगा। एम्स भोपाल इस नई तकनीक के लिए भारत में प्रमुख क्लिनिकल परीक्षण, विकास और प्रमाणीकरण केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रो. (डॉ.) अजय सिंह ने इस पहल की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा, “यह सहयोग ओरल कैंसर से लड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है, विशेष रूप से मध्य प्रदेश में, जहां तंबाकू और सुपारी के अत्यधिक उपयोग के कारण ओरल कैंसर का प्रचलन अत्यधिक है। यह परीक्षण ओरल कैंसर का प्रारंभिक निदान करने में सक्षम होगा और एक गैर-आक्रामक, उपयोग में आसान स्क्रीनिंग उपकरण प्रदान करेगा, जिससे हजारों लोगों की जान बचाने की संभावना है।” प्रो. सिंह ने आगे कहा, “एम्स भोपाल इस परियोजना के लिए आदर्श स्थल है, और हम इस नई तकनीक की सफलता सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रारंभिक निदान और गैर-आक्रामक उपचार विकल्पों के माध्यम से रोगियों के स्वास्थ्य परिणामों में सुधार और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाना हमारी प्राथमिकता है।”

इस परियोजना के लिए एम्स भोपाल के बायोकैमिस्ट्री विभाग की प्रोफेसर रश्मि चौधरी, तकनीक के विकास और अनुप्रयोग में अपना योगदान देंगी। हेमेक्स हेल्थ इंक और हेमेक्सडीएक्स इंडिया के सहयोग से इस नवीन स्क्रीनिंग तकनीक का अनुवाद और वाणिज्यीकरण किया जाएगा। परीक्षण और संबंधित उपकरण भारत में निर्मित किए जाएंगे और ओरल कैंसर की उच्च दर वाले अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। यह परियोजना ओरल कैंसर जैसे गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल भारत में स्वास्थ्य सेवा में नवाचार लाने के साथ-साथ ओरल कैंसर के मामलों को कम करने और शुरुआती चरणों में रोग के निदान और उपचार को प्रभावी बनाने में सहायक सिद्ध होगी।

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