भोपालमध्य प्रदेशस्वास्थ्य

एम्स भोपाल ने नॉन-ट्यूबरकुलस मायकोबैक्टीरिया के त्वरित निदान के लिए लाइन प्रोब ऐस्से पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया

भोपाल: 06 नवंबर 2024

एम्स भोपाल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया (NTM) के त्वरित निदान के लिए लाइन प्रोब ऐस्से (LPA) पर एक दिवसीय हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग सत्र का आयोजन बुधवार, 6 नवम्बर 2024 को किया गया। इस अवसर पर एम्स भोपाल के कार्यपालक निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) अजय सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “हम इस महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यशाला की मेज़बानी करके गर्व महसूस कर रहे हैं, जो हमारे संस्थान के शैक्षणिक उत्कृष्टता और वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान देने के हमारे संकल्प के अनुरूप है। नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया का त्वरित निदान करना और उन्हें अलग-अलग करना रोगियों को शीघ्र और सही उपचार प्राप्त करने में मदद करता है। हम विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को संभव बनाया। यह पहल न केवल हमारे शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करती है, बल्कि देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य के बेहतर सुधार में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।” यह प्रशिक्षण सोशल साइंटिफिक रिस्पांसिबिलिटी (SSR) पहल के तहत आयोजित किया गया था, जिसे साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त है।

इस कार्यशाला के प्रमुख वक्ता और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख, प्रोफेसर देबाशीष विश्वास ने नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया की पहचान और निदान की चुनौतियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा किया और विभाग की निदान क्षमता को आगे बढ़ाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को व्यक्त किया। प्रो. विश्वास के नेतृत्व में विभाग ने नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया के त्वरित और सटीक निदान के लिए नए तरीके अपनाए हैं, जो रोगियों के उपचार में तेजी लाने में सहायक हैं। डॉ. आनंद मौर्य ने कार्यशाला की शुरुआत करते हुए नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया और लाइन प्रोब ऐस्से के उपयोग का गहन परिचय दिया, जो नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया का त्वरित पता लगाने में एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इसके बाद, इंटरमीडिएट रेफरेंस लेबोरेटरी, भोपाल की डॉ. सौम्या धवन ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) की सिफारिशें प्रस्तुत कीं, जो नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया के निदान और उपचार के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करती हैं। कार्यशाला में प्रो. शशांक पुरवार, कार्यवाहक चिकित्सा अधीक्षक, और अन्य विभागीय संकाय सदस्य, मेडिकल छात्र, शोधकर्ता और कर्मचारी भी मौजूद थे। उनके समर्थन और उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी प्रभावशाली बनाया।

यह कार्यशाला लाइन प्रोब ऐस्से (LPA) पर केंद्रित थी, जो एक आणविक निदान तकनीक है, जिसका उपयोग नॉन-ट्यूबरकुलस माइकोबैक्टीरिया के त्वरित निदान और पृथक्करण के लिए किया जाता है। यह अत्याधुनिक तकनीक उन माइकोबैक्टीरियल संक्रमणों के निदान में सहायक है जो पारंपरिक उपचारों के प्रति प्रतिरोधी होती हैं और जिन्हें पारंपरिक विधियों से पहचानना कठिन होता है। यह आयोजन एम्स भोपाल के निरंतर प्रयासों का हिस्सा है, जो शोध में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, निदान तकनीकों में सुधार और स्वास्थ्य कर्मियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के लिए है।

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